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Smart Farming

स्मार्ट कृषि प्रणाली : किसानों की भविष्यकारी नीति और चुनौतियां

स्मार्ट कृषि प्रणाली : किसानों की भविष्यकारी नीति और चुनौतियां

बदलते वैश्विक परिदृश्य में अब भारत सरकार भी डिजिटलीकरण के माध्यम से संचालित कृषि नीतियों को प्राथमिक उद्देश्य में शामिल करने के लिए प्रयास कर रही है। 

 साल 2022-23 के बजट में सरकार ने नई कृषि तकनीकों को डिजिटलीकरण के क्षेत्र में काम करने वाली स्टार्टअप तथा किसान उत्पादक संस्थान (Food Processing Organisation) के साथ मिलकर स्मार्ट कृषि की राह पर चलने का फैसला किया है। कोविड-19 जैसी महामारी और कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से पैदा हुए खाद्य संकट को कम करने में भी स्मार्ट खेती का महत्वपूर्ण योगदान देखने को मिला है।

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क्या होती है स्मार्ट कृषि ?

किसी भी खेती प्रणाली में अपशिष्ट उत्पादों की मात्रा को कम करते हुए, खेत से प्राप्त होने वाली उत्पादकता में वृद्धि करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक को ही स्मार्ट कृषि (Smart Farming) कहा जा सकता है। स्मार्ट कृषि एक बड़े परिदृश्य को परिभाषित करती है, इसके तहत बेहतरीन तकनीक की रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट (remote sensing satellite) और दूसरे वैज्ञानिक उपकरणों की मदद से संसाधनों के कुशल प्रबंधन को भी शामिल किया जा सकता है।

साल 2015 से विश्व के लगभग सभी देश समुचित विकास (Sustainable development) की राह पर चलते हुए पर्यावरण की गुणवत्ता को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए विश्व में खाद्य संकट के निदान के लिए प्रयासरत हैं। विज्ञान की नई तकनीक जैसे रिमोट सेंसिंग, रोबोटिक्स तथा बिग डाटा एनालिटिक्स (Big Data Analytics) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के अलावा इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT) जैसी कई प्रौद्योगिकियों परंपरागत खेती को स्मार्ट कृषि में बदल सकती है।

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स्मार्ट कृषि से किसानों को होने वाले फायदे :

किसी भी नई प्रौद्योगिकी और उत्पाद को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही पक्षों से सोचा जाना चाहिए। स्मार्ट खेती के लिए भी नई वैज्ञानिक तकनीक प्रभावी नीति निर्माण कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जैसे कि :-

  • कृषि प्रणाली की दक्षता में बढ़ोतरी :-

किसी भी किसान के लिए खेत से अधिक उपज प्राप्त करना सपने के सच होने जैसा होता है। स्मार्ट कृषि उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही कृषि प्रणाली की दक्षता को सुदृढ़ करने में सक्षम है।

इसके लिए विभिन्न तरीके के उत्पाद, जैसे कि 'किसान ड्रोन'  (Kisan Drone) का उपयोग पानी में घुलनशील उर्वरकों और पोषक तत्वों के छिड़काव के अलावा कीटनाशक के सीमित इस्तेमाल के लिए भी किया जा सकता है।

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श्रम संकट को ध्यान में रखते हुए किसान ड्रोन शारीरिक श्रम के लिए एक विकल्प के रूप में उपलब्ध हुआ है।

  • भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण :

वर्तमान में ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain Technique) की मदद से विकसित देशों में सेंसर आधारित उपकरणों का सहयोग लेकर भूमि से जुड़ी संपूर्ण जानकारी को डिजिटल माध्यमों की मदद से उपलब्ध करवाया जा रहा है।

नई तकनीकों के प्रसार की वजह से किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी और अलग-अलग योजनाओं के लिए लाभान्वित होने वाले व्यक्तियों की संपूर्ण जानकारी इकट्ठा करना काफी आसान हो गया है, इस पारदर्शिता की मदद से सही लाभार्थी लोगों तक आर्थिक मदद को आसानी से पहुंचा जा सकता है।

  • कम्युनिटी विकास पर फोकस :

छोटे किसानों के लिए स्मार्ट कृषि का इस्तेमाल करना काफी मुश्किल हो जाता है, वर्तमान में स्मार्ट कृषि से अलग अलग क्षेत्रों के किसानों के मध्य जागरूकता बढ़ाने और भाईचारे का स्वभाव भी पैदा किया जा रहा है।

साल 2018 में बेंगलुरु की एक स्टार्टअप कंपनी वी-ड्रोन ने आसपास के एरिया से छोटे किसानों को एक पैनल के जरिए जोड़ने का प्रयास किया और ऐसे किसानों के खेत की रोबोटिक्स और मेपिंग तकनीक की मदद से केवल पांचसौ रुपए के शुल्क पर एक एकड़ से अधिक भूमि का डाटा उपलब्ध करवाया।

  • बाजारू मांग की सही पहचान और बदलते मौसम की सही जानकारी :

वेदर फोरकास्टिंग और सीधे मंडियों से जुड़े कई डिजिटल सॉफ्टवेयर की मदद से किसान भाइयों को उनके मोबाइल फोन पर ही वर्तमान में फसल की मांग के अनुसार बाजार में चल रही कीमत का पता लग जाता है।

इसके साथ ही भविष्य में स्टॉक की मात्रा का अंदाजा लगाकर किसान भाई फसल को कुछ समय तक स्टोरेज करके भी बेच सकता है।

मौसम से जुड़ी जानकारियां किसान भाइयों के खेत में होने वाले नुकसान को कम करने में सहयोग प्रदान करने के साथ ही शारीरिक श्रम में कमी और उर्वरकों के कम इस्तेमाल के लिए भी प्रेरित करती है।

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स्मार्ट कृषि प्रणाली में आने वाली चुनौतियां :

स्मार्ट कृषि की विकास प्रक्रिया में बाधित नकारात्मक प्रभाव को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है:-

  • बजटीय सहायता की कमी :

साल 2022 में कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों के विकास और अनुसंधान कार्यों के लिए बहुत ही सीमित राशि उपलब्ध करवाई गई है।

बदलते समय के साथ सरकार को भी समझना होगा कि अब केवल डिजिटलीकरण और स्मार्ट कृषि की मदद से ही उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है।

  • लघु और सीमांत किसान जोत :

भारतीय कृषि में किसानों की लघु और सीमांत आकार की जोत को एक बड़ी समस्या के रूप में देखा जाता है।

छोटे और सीमांत जोत में 2 हेक्टेयर से कम क्षेत्र के खेत को शामिल किया जाता है।

वर्तमान में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या 85 प्रतिशत से भी अधिक है, वहीं 10 हेक्टेयर से बड़ी खेत की जोत रखने वाले किसान केवल 0.5 प्रतिशत है।

किसानों के लिए स्मार्ट तकनीक से होने वाले आर्थिक लाभ को सीमित करने में जोत का आकार बहुत महत्वपूर्ण होता है।

  • कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप कंपनियों का कम विकास :

टेलीकम्युनिकेशन और कंप्यूटर सेक्टर में बनने वाली नई स्टार्टअप कंपनियां की तुलना में कृषि क्षेत्र में काम करने वाली स्टार्टअप दो प्रतिशत से भी कम है।

अधिक जनसंख्या वाले देश में खाद्य संकट को सीमित करने के लिए कृषि क्षेत्र से जुड़ी नई तकनीकों की विकास को मध्य नजर रखते हुए स्टार्टअप कंपनी की को बढ़ाने के लिए सरकार को भी प्रोत्साहन देना चाहिए।

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विश्व खाद्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार साल 2030 तक भारत में खाद्य संकट बढ़ने की संभावनाएं 25% से अधिक हो जाएगी। स्मार्ट कृषि में आने वाली समस्याओं का बिग डाटा एनालिटिक्स और बैकवर्ड-फॉरवर्ड लिंकेज को बेहतर बना कर इंटरनेट ऑफ थिंग्स की मदद से समाधान किया जा सकता है। 

 आशा करते हैं हमारे किसान भाइयों को merikheti.com के द्वारा उपलब्ध करवाई गई स्मार्ट कृषि से जुड़ी जानकारी पसंद आई होगी।भविष्य में आप भी डिजिटल माध्यमों का सदुपयोग करते हुए बेहतर कृषि उत्पादन के लिए नई तकनीकों के बारे में जानकारी हासिल कर पाएंगे।

जानें CHATGPT ने कृषि क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के महत्त्व के बारे में क्या कहा है

जानें CHATGPT ने कृषि क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के महत्त्व के बारे में क्या कहा है

आज हम आपको कृषि क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) के उपयोग के विषय में बताने वाले हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस किस तरह मदद कर सकता है, इस सवाल पर ChatGPT का कहना है, कि AI कृषि के क्षेत्र में विभिन्न तरह से कार्य कर सकता है। आज के दौर में निरंतर एआई मतलब कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) का उपयोग बढ़ता जा रहा है। प्रत्येक कार्य में लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता लेने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में सवाल यह है, कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस खेती में किस प्रकार से किसानों की सहायता कर सकता है। जब हमने ChatGPT जो खुद एक चैटबॉट है, उससे इस सवाल का जवाब मांगा तो उसने हमें विभिन्न रोचक बातें बताईं। जिनके बारे में जानना आपके लिए भी काफी आवश्यक है।

अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कृषि डेटा विश्लेषण कर किसानों की काफी सहायता करता है

एआई कृषि क्षेत्र से संबंधित डेटा को विश्लेषण करके फसलों की मौसम पैटर्न, मात्रा एवं विकास के संकेतों को समझ सकता है। इससे कृषकों को फसल प्रबंधन, प्रीक्टिव एनालिटिक्स, उपयुक्त खेती तकनीकों की अनुशंसा और कृषि निर्माण प्रबंधन की सलाह मिलती है।

एआई द्वारा अनुप्रयोग और संचालन विधि के विकास में मदद मिलती है

एआई खेती में किसानों को विभिन्न खेती अनुप्रयोगों और कृषि यंत्रों के लिए संचालन विधि विकसित करने में सहायता कर सकता है। यह दौर श्रम और संसाधनों की बचत करके फायदेमंद एवं स्वतंत्र खेती प्रथाओं का विकास करने में सहायता करता है। ये भी पढ़े: इन कृषि यंत्रों पर सरकार दे रही है भारी सब्सिडी, आज ही करें आवेदन

ऑटोमेशन और रोबोटिक्स कृषि क्षेत्र में क्या सहयोग करता है

बतादें, कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) खेती में ऑटोमेशन और रोबोटिक्स के इस्तेमाल से किसानों की मेहनत के साथ-साथ समय की बर्बादी को रोकने में काफी मदद मिलती है। रोबोट के जरिए किसान के खेत में कई उपयोगी कार्यों को संभव किया जा सकता हैं। जैसे कि बीजारोपण, फसल के लिए पानी का वितरण, जैविक उर्वरक का छिड़काव और कीटनाशक छिड़काव।

एआई कृषि उत्पादों की गुणवत्ता का निर्धारण करने में मदद करता है

एआई (AI) कृषि के अंदर उत्पादों की गुणवत्ता का निर्धारण करने में सहायता कर सकता है। इससे फसलों की गुणवत्ता एवं मात्रा को नियंत्रण में किया जा सकता है। बाजार में उनकी कीमतों को ज्यादा सुविधाजनक किया जा सकता है।

एआई समस्या निवारण करने के लिए काफी मदद कर सकता है

एआई (AI) खेती में किसानों को उनकी परेशानियों का निराकरण करने के लिए सहायता कर सकता है। इससे उनको बीमारियों का प्रबंधन, जैविक उर्वरक और कीटनाशक आदि के विषय में कई सारे तरीकों की सलाह और उपाय मिलते हैं। आजकल बदलते समय के साथ-साथ आधुनिकता भी बढ़ती चली जा रही है। देश में लगभग समस्त कार्य क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग होना शुरू हो गया है।